April 2017
अक्षर पर्व ( अंक 211 )
प्रभाकर चौबे
शुक्ला प्रोव्हीजन के पास, रोहिणीपुरम
रायपुर 492010 (छग)
मो. 9425513356
बेईमान कहीं के
1
यार
हम तो सोचते रहे
ये बेईमान सूखेंगे
सूख जाएंगे ।
इन्हें हरा-भरा रखने
पोषण तत्त्व नहीं मिलेगा ।
यार
हम जो सोचते थे
उससे उल्टा हो रहा
ये बेईमान और इनकी बेईमानी
ज्यादा हरिया रही।
ज्यों ही इन्हें लगता है
कि
पोषण तत्व नहीं मिल रहा
वे खेत ही बदल देते हैं।
दूसरे के बगीचे में
सीएम, मंत्री, विधायक, सांसद
बन रहे
उधर बेईमानी को
गुलजार कर रहे
2
यार
बेईमानों को
पोषण तत्व खोजने के लिए
मेहनत नहीं करनी पड़ रही
चारों तरफ फूल-फल रहे
बेईमानी से भरे पड़े हैं खेत ।
खेत की मेड़ से
चलने वालों को बिजरा रहे ये बेईमान
3
यार
पुरानी कहावत है
सुनते आ रहे हैं
काठ की हांडी
चढ़े न दूजी बार
यार
ये बेईमानी की हांडी
चूल्हा बदल-बदल कर
कई-कई बार चढ़ रही
लोकतंत्र क्या
बेईमानी पकाने का
ईधन है?
4
यार
जो कल तक उनका ईमानदार था
आज
इनका ईमानदार है।
कब तक जिसका
ईमानदार या
आज उसका बेईमान है।
होता ऐसा है
कि
जिसकी शर्ट पहन ले
उसका ईमानदार
जिसकी शर्ट उतार दे
उसका बेईमान ।
बेईमान क्या सांप होते हैं?
केंचुली बदलकर
फिर फिर आते हैं।
5
यार
जिस थाली में खाना
उसी में छेद करना
यह कहावत अब
सुनाई नहीं पड़ती ।
कहाँ से सुनाई पड़े यार
अब वे थाली में छेद नहीं करते।
पूरी थाली लेकर चल देते हैं
यहाँ रहे मंत्री
जिधर गये
वहाँ भी मंत्री
यार
ये थाली लेकर भागने वाले हो गये हैं।
6
यार
चुनाव के तुरन्त बाद वे
बेईमान मार्केट जाते हैं।
नेट भी खंगालते हैं
अब तो
बेईमानों की आनलाईन खरीद-बिक्री हो रही।
बेईमान का रेट
आसमान छू रहा हो
तो पार्टी कहती है
आसमान में छेद करो
धरती खोद डालो
खरीदने के लिए
धन की कमी नहीं
धन दोनों जगह है।
खरीदो
इस समय केवल
बेईमानी चाहिये
सरकार बनाना है
जल्दी .... ।
7
बेईमान जितनी बेईमानी करते हैं
उतना चमकते हैं।
इधर से उधर
उधर से इधर
आते-जाते
अपनी चमक बढ़ाते चलते
बेईमानी का भाव ऊपर चढ़ता है
तो
बेईमानी और भी चमकदार होती जाती है
8
यार
बेईमान
ज्यादा दिन सोया पड़ा नहीं रह सकता
बेईमानी के बिकवाल
बोली लगाते फिरते हैं।
अच्छा बेईमान मिलता
भी तो मुश्किल से है
बेईमानी की मंडी में
सड़े-गले बेईमान
बोरा-बोरा मिल जाते हैं ।
ईमानदार बेईमान
केवल पारखी लिवाल ही
छांट सकता है!